पड़ी तेरे इश्क़ में जबसे
न रही किसी काम की ज़ालिम
नहीं कोई फिक्र मुझको
किसी अंजाम की ज़ालिम
गिनूँ सांसें जपूं माला
मैं बस तेरे नाम की ज़ालिम
पड़ी तेरे इश्क़ में जबसे
न रही किसी काम की ज़ालिम
उम्माह..
पड़ी तेरे इश्क़ में जबसे
न रही किसी काम की ज़ालिम
नहीं कोई फिक्र मुझको
किसी अंजाम की ज़ालिम
गिनूँ सांसें जपूं माला
मैं बस तेरे नाम की ज़ालिम
पड़ी तेरे इश्क़ में जबसे
न रही किसी काम की ज़ालिम
ओ री छोरी तेरी परी
हाथ लगा के देखा नरम बड़ी
100 डिग्री 100 डिग्री
गरम बड़ी करमजाली
पगली ये ट्रिप ही अलग है
माइंड में लगा मेरे
चिप ही अलग है
एक बार जो थमा तेरा हाथ
तो छूटेगा नहीं
मेरी ग्रिप ही अलग है उम्माह..
तू हद्द से बाहर जा रही है
मैं हद पार नहीं करना चाहता
बाकी कुछ भी करवा ले तू
बस प्यार नहीं करना आता उम्माह..
तुझको बुलाती हूँ
तू आये क्यूँ ना
सावन है फिर भी
बादल छाए क्यूँ ना
देहलीज़ मेरी पर तू
एक बार कदम रख दे
मुझको न और तड़पा
आ काम खतम कर दे
तुझे पागल बना दूंगी
नशा ऐसा चढ़ा दूंगी
ज़रूरत अब नहीं तुझको
किसी भी जाम की ज़ालिम उम्म..
पड़ी तेरे इश्क़ में जबसे
न रही किसी काम की ज़ालिम
नहीं कोई फिक्र मुझको
किसी अंजाम की ज़ालिम
गिनूँ सांसें जपूं माला
मैं बस तेरे नाम की ज़ालिम
पड़ी तेरे इश्क़ में जबसे
न रही किसी
इट्स योर बॉय बादशाह!
न रही किसी काम की ज़ालिम ऐ
न रही किसी काम की ज़ालिम ऐ
न रही किसी काम की ज़ालिम ऐ
न रही किसी काम की ज़ालिम ऐ
गीतकार:
Badshah